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मेरी तस्वीर की दुनिया

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  पिछले दो तीन दिनों की बात है ,मैं सुबह में सोचता हूँ कि आज schdule में क्या फ़ोटो फ़ाइल किया जाये क्यों कि अभी सब कुछ unschdule हो रहा है ,उस दिन दिल्ली की कर्फ्यू का पहला दिन था,सोचा कि एक चक्कर आसपास लगाया जाए तो मैं और मेरा एक फोटोग्राफर मित्र अपने अपने मोटरसाइकिल पर सड़क लाँघने निकल पड़े। रास्ते में मेरी नज़र एक टेंट पर परी ,नज़दीक जाने से पता चला कि यहाँ rtpcr की जाँच हो रही है ,सोचा कि आज कुछ फ़ाइल करने के लिए हो गया ,हालांकि subject पुराना है,लेकिन फिर भी आप देख के अनदेखा नही कर सकते हैं ,मै कुछ migrant labour से बात की और पूछा कि तुम लोग इतना अफरा तफ़री में क्यों जा रहे हो ? एक बोला कि साहेब जाएं नहीं तो क्या करें ? मेरा टेस्ट हो गया ना ,थोड़ा झल्ला कर बोला ।उसके बाद मैं फिर अपने ऑफिस की तरफ निकल पड़ा ,रास्ते मे ख़याल आया कि  आज़कल कोरोना से काफी लोग मर रहे हैं तो एक चक्कर कब्रिस्तान जो रास्ते मे पड़ता है  लगाया जाए ,मै वहाँ गया ,दृश्य दुःखद था । दोनो जगह का फोटो भी attach कर रहाहूँ 

मेरी तस्वीर की दुनिया

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नई दिल्ली में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में यात्री कौशांबी डिपो में अपने गंतव्य के लिए अपनी बस का इंतजार करते हैं। फोटो: जीएन झा दिल्ली सरकार द्वारा कल लॉकडाउन की खबर प्रवासी मजदूरों के लिए बड़ी चिंता का दिन थी। एक बार लगा कि पिछले साल जैसा कुछ नहीं होना चाहिए। यह सोचकर मैंने आज आनंद विहार के आसपास लगे कैमरे की तरफ देखना शुरू किया। आज सब कुछ सामान्य था, सड़कों पर वाहन थे, लोग उस सख्त स्थिति में नहीं थे, लेकिन लोगों की भीड़ देखकर ऐसा लग रहा था कि मजदूर वर्ग अभी भी चिंतित है कि क्या होगा। सैकड़ों लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर जा रहे हैं। कोरोनावायरस का कहर जारी है। सुरक्षित रहें, घर के अंदर रहें।